समुन्द्र का सफर
मे अकेला एक कस्ती में सवार होकर समुन्द्र की लहरों में निकल गया समुद्र को देखने उसे अपनी आंखो में नजदीक से बसाने,
मै एक सप्ताह में घुमकर वापस घर लौट रहा था करीब रात के आठ बज रहे थे मौसम में हल्की हल्की नमी थी मैं समुन्द्र की लहरो को चिरकर तेज रफ्तार से आगे बढ़ रहा था तभी मुझे कुछ बादलो आबाजे सुनाई दी,
मैंने अंदाजा लगा लिया कि तेज बारिश हो सकती है मैंने अपनी नाव की रफ्तार कुछ और तेज कर दी। तभी बर्फ के ओलो के साथ तेज बारिश होने लगी,
बारिश इतनी तेज थी कि उसके कारण समुन्द्र में तुफान आने लगा और तुफान ने मेरी नाव की रफ्तार को कम कर दिया, मुझे डर था कि तुफान मेरी नाव को कही बहा ना दे पर ऐसा कुछ नही हुआ,
बल्कि मेरे साथ उससे भी खतरनाक खटना खटी,
एक तुफान ने मेरी नाव को तहस नहस कर दिया कुछ समय बाद जब समुन्द्र का पानी शान्त हुआ तो नाव का कुछ भी पता नही था,
मै लगातार लहरो के साथ बहता रहा, बाद में मेरे हाथ लकड़ के कुछ तख्ते आये और मेने उन तख्तो के साथ लहरो में बहते हुए सारी रात काटी,
जब सुबहा हुई तो मैंने देखा कि ये मेरी ही नाव के तख्ते है मे बहुत परेशान हो गया की अब घर कैसे जाउंगा, तभी मैंने एक शिप को देखा उससे मदद मांगने के लिए मैंने आबाजे लगाई,
फिर मैंने सोचा कि शायद मेरी आवाज़ उन लोगों तक नही पहुंच रही हो, फिर मैं सोचने लगा कि मैं ऐसा क्या करूं जो इन लोगो की नजर मुझ पर पड़ जाएं,
तभी मैंने सोचा कि मेरा जो अंडर वियर है वो लाल रंग का है मैंने जल्दी से उसे निकाला और हबा में लहराया और फिर से आबाजे लगाई,
लेकिन मेरे और शिप के बीच कि दुरी लगातार बढ़ रही थी मुझे उस शिप से कौई भी मदद नही मिली और मै थक कर बैठ गया,
आबाज लगाने के कारण मेरा गला सूख गया था और मेरे दिमाग बस यही सोच रहा था,
कि क्या मैं समुन्द्र का पानी पी सकता हूं?
जैसे ही मैंने तख्तो पर बैठे हुए पानी पीने के लिए आगे हाथ बढ़ाए में पानी पीने ही बाला था परन्तु मै रूक गया,
मुझे याद आया कि समुन्द्र के पानी में सोडियम क्लोराइड बहुत ज्यादा होता है, फिर मैंने अपने हाथ पिछे कर लिये मै तन्हा बीच समुन्द्र में अकेला बेठा बहुत ही घबराया हुआ था,
शाम कै पांच बज चुके थे मे अपने पैरो की सहायता से उन लकड़ी के तख्तो को आगे बढ़ा रहा था मैंने इसी तरहा से 72 घंटे समुन्द्र में उन लकड़ी के तख्तो पर भुखे और प्यासे गुजारे,
फिर मुझे कुछ सुखी जमीन और पेड़ दिखाई दिये जो मुझे से कुछ ही दुरी पर स्थित थे मै तेजी से उस तरफ बढ़ और मैंने सुखी जमीन पर कदम रखा,
भुख और प्यास के कारण मेरा शरीर कमजोर हो गया था मेरे सारे शरीर पर जगह जगह नमक लगी हुई थी,
जब मुझसे भुख बरदास नही हुई तो मैंने मछलियां मारी फिर मे आग जलाने के लिए ईधर उधर कुछ दुरी तक गया पर कुछ भी ना मिल सका बाद मे मजबुरन कच्ची मछलियां को ही खाया पहली बार तो मुझे खाते ही उलटि हो गई फिर बाद मे मुझे धिरे धिरे कच्ची मछलियां खाने की आदत हो गई,
जब कई हफ्ते गुजर गये तो मुझे लग रहा था कि अब तो बस ज़िन्दगी यही है, मेरा शरीर बहुत ही काला पड गया था और दिन बितने के साथ मेरे सर और दाढ़ी के बाल भी इतने बड़े हो गए थे कि अब तो मेरे घर बाले भी मुझे नही पहचान सकते,
अब तो बस वही मेरा जीवन था, धिरे धिरे मुझे 15 साल बित गये इस दौरान तो मैं ऐसा हो गया था कि मै खुद भी अपनी शक्ल नही पहचान सकता मैंने 15 साल से एक भी व्यक्ति को वहां नही देखा था वो जगह ही ऐसी थी कि मुझे नही लगता था कि मुझ से पहले सायद ही कौई व्यक्ति वहां आया होगा,
कुछ दिनों बाद मेने जंगल के दुसरे कौने कि तरफ कुछ हलचल सी दिखाई दि जैसे ही मैं कुछ करिब पहुंचा तो कुछ मशिनो कि आबाजे सुनाई दी, जंगल के उस तरफ बहुत शक्तिशाली पेड़ थे उस तरफ मे पहले भी कई बार गया था पर कौई भी निकलने का रास्ता नही था चारों तरफ पानी ही पानी जब मे उन लोगों के पास पहुंचा तो मुझे कुछ लोग और मशिने दिखाई दि मै उन लोगों कि तरफ तेजी से बढ़ा मेरे बदन पर कपड़ो का कौई निशान भी नही था,
मै बिल्कुल नंगा था मेरे कपड़े गलकर बेकार हो चुके थे वे लोग मुझे देखकर डर गये और सभी लोगों ने अपने अपने हाथों में कुल्हाड़ी उठाली,
मैंने आबाज दि रूको मुझे मारन नहीं मै भी तुम लोगों की ही तरह मनुष्य हु फिर भी वे लोग मुझ से दुर से ही बातें कर रहे थे मैंने सब घटना उन्हें बताई जो जो मैरे साथ घटी थी, वो लोग उस जगह चंदन की लकड़ियां काटने एक शिप से आएं थे शिप में ही उन लोगों ने मेरे सर के बाल काटे दाढ़ी बनाई उसके बाद मे नहाया और कपड़े पहनकर खाना खाया उसके बाद वो जहाज वहां से रवाना हो आया मैंने उन लोगों को अपना सारा पता बताया वो लोग मुझे मेरे घर तक छोड़ने आए,
मेरा शरीर इतना काला और कमजोर होने के कारण मेरे घर बाले भी मुझे काफी देर तक हेरत से देखते रहे
बाद मे मैं अस्पताल में भर्ती हो गया क्योंकि मेरा शरीर जगह जगह से गल रहा था अब में कल को अस्पताल से छुट्टी ले रहा हु,
Written by...
Waseem Khan
AAHIL KHAN
10-Jan-2022 04:03 PM
Nice
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Seema Priyadarshini sahay
07-Jan-2022 08:23 PM
सुंदर कहानी
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Ayshu
05-Jan-2022 02:44 PM
लाजवाब लिखा है वसीम जी
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Waseem Khan
05-Jan-2022 04:43 PM
Thankyou
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